शेत्रुंजी ना पाणी हो, बेडले पाणी

मारा, ऋषभ नी वात क्यां छुपाणी

मारा, मनडानी वात क्यां छुपाणी

शेत्रुंजी ना…(१) 

मने पूछो तो कांई ना जाणुं,

जुओं रोम रोम एने हुं भाळुं

मारा हैयानी कोर छे भींजाणी

शेत्रुंजी ना…(२) 

करी अभिषेक आतम पखाळुं,

एना स्पर्शे हुं पामुं अजवाळुं 

ओली अमृत नी धार छे सिंचाणी

शेत्रुंजी ना…(३) 

आज भक्त जनो सहु साथे झूमु,

भर्या सपनाए रूम झूमुं झूमुं 

नवी फूटे छे आज नवी वाणी

शेत्रुंजी ना…(४) 

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