वर्षीतप का ओ वर्षीतप का ये, शुभ दिन आया रे,

 हां शुभ दिन आया रे..

 हां देखो कैसे तप के तरंगों से, मन आज हर्षाया रे…(१)

 

आए ये पल उमंग के, चढ़े है रंग धर्म के, 

कि दिन ये आया आया, हां आया भाया रे, 

वर्षीतप का ओ…(२)

 

तप की रंगोली तपस्वी के मन भाई, 

आदिनाथ दादाने ये कृपा बरसाई, हो… जयकारा.. 

आई ऋत प्यारी लागी है नसीबोवाली,

 करके ये तप बनी आप तपधारी, हो… जयकारा…(३)

 

अक्षय तृतीया का ये दिन, आया बड़ा मनभावन, 

जिसकी आराधन से मिलता, सिद्धों का द्वार रे, 

वर्षीतप से हां वर्षीतप से, शुद्ध होती काया रे….. 

हां होती काया रे..

हां हां देखो कैसे तप के तरंगों से, मन आज हर्षाया रे….(४)

 

निजरसना पे संयम रखते, किया ये वर्षीतप आनंद से, 

अब मुक्ति का पथ मिल जाए, 

आदिनाथ की कृपा हो जाए….(५)

 

देखके नज़ारे, गूंज उठे जयकारे, 

अनुमोदन करे आओ, हम मिल सारे, हो… जयकारा..

 तेरह मास का ये तप, तप मंगलकारी,

भवसागर की नैया का ये पथवार रे,

देव गुरु और हां देव गुरु और, धर्म की छाया रे,

हां धर्म की छाया रे..

हां देखो कैसे तप के तरंगों से, मन आज हर्षाया रे…(६)

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