लक्ष्यवेध.. लक्ष्यवेध..लक्ष्यवेध…

 

हाँ जिन आणा है तेरी, 

नवकार को पाना है,

 हाँ यही साधना है मेरी, 

श्रावक जो बनना है,

 गुरु चरण में रहना है…(१)

 

रोके मोहकी आंधियाँ, 

या वासना और आसक्तिया, 

सार्थक होगा लक्ष्य ये तेरा… 

लक्ष्यवेध हर हालमें करना है.. 

उपधान में हर हालमें जुडना है..

 मोक्षमाल हर हाल में वरना है…(२)

 

तुं अप्रमत बन सुबह-शाम, 

प्रभु-गुरुआणा अब तेरा काम, 

सार्थक होगा लक्ष्य ये तेरा… 

लक्ष्यवेध हर हालमें करना है..

 उपधान में हर हालमें जुडना है.. 

मोक्षमाल हर हालमें वरना है..(३)

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