स्नेहना स्वस्तिक साथे, लखुं छुं कंकोतरी, 

कंकोतरीमां मारी भावना में कोतरी…(१)

 

अंतरना अहोभावथी, आपुं छुं तमने नोतरूं,

अंतरमां अहोभाव छे तो, भव केम हुं नो-तरूं?

वहेला-वहेला पधारजो, आमंत्रण आपुं आगोतरूं,

देव-गुरुकृपाथी, भव-सिंधु थशे गंगोतरी…

स्नेहना स्वस्तिक साथे, लखुं छुं कंकोतरी,

कंकोतरीमां मारी भावना में कोतरी…(२)

 

सुख-शाताना साथियां, कल्याणनां केसर-छांटणा,

 निर्वाणनी नाडाछडी, आनंदना अक्षत वधामणां,

सद्भाव-सोनाना फूलडां, पवित्रताना पांदडां, 

 कैवल्यनी कंकावटी, दिव्यताना दिवडा…(३)

 

सेवाना साफा पहेरी, मांगल्यनो मोतियन हार,

 तत्त्वप्रेमनुं तिलक करीने, खंतना खेसने धार-धार,

शासन-स्नेहनो शंखनाद, श्रद्धानी गुंजे शरणाई,

 आमंत्रणनी आज पळ आई…(४)

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