पंचम आरे, पंथ छे न्यारो,

सिद्धशीलानो ए सथवारो,

 गुरुकुलवास ज्यां मळशे मजानो,

आतम गुणोनो ज्यां खुलशे खजानो,

रजोहरण प्यारो राजोहरण

प्यारो राजोहरण प्यारो…

रजोहरण भने प्राणथी प्यारो…

रजोहरण प्यारो राजोहरण

प्यारो मळशे क्यारे मने… (१)

 

पामीने नेमि तारा पंथनुं रजोहरण,

 क्यारे बनुं हुं तारी रहेवा तारा शरण,

संग मळे जो तारो आ भवसागरे,

 मोहमाया आ जगनी एक क्षणमां खरे,

 संग मळे जो तारो ओ गिरनारी,

 तरशे राजुलनी जेम बाळ आ तारी…

रजोहरण प्यारो… (२)

 

विरतीना पंथे व्हालो गुरुनो सहारो,

रजोहरण रूपे नेम सथवारो,

पल-पल मारी हुं तो तुज पर वारी,

संयमना बाने लेजो मुजने उगारी

 ओ गुरुवर मारा हैये नेमि छे,

 नेमिना नामनी दीक्षा लेवी छे…

रजोहरण प्यारो… (३)

Shares:
Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *