हे अंतरिक्ष दादा!!
केटलाय वर्षोथी,
तारा स्पर्शनी झंखना करता,
आजे तारी पूजानुं सौभाग्य मळ्युं छे,
केटलाय वर्षोथी,
ए नानी बारीमां थी तारा दर्शन करता,
आजे तारूं पूर्ण स्वरूप निरख्युं छे,
तुं मंदिरमां वस्यो छे, एवो ज..
तने दिलमां वसाव्यो छे दादा…!!(१)
तर्जः (तारा मस्त गुलाबी गाल)
मारा दिलमां वसे छे तुं,
तारी मूरत छे मनोहारी,
शिरपुरना राजा मारा,
हुं बाल तुं माता मारी…. (२)
श्वेत नह्वननी धारा,
मस्तकथी वेहता तारा,
आवे ए चरणोनी पासे नाथ…
ए जोयी हैयुं मारूं, आनंदथी हरखायुं,
छलकाये आंसुओनी धारा पास… (३)
अभिषेक थाय तारो,
आत्मशुद्धि थाय मारी,
भवपार करावो मने,
हुं बाल तुं माता मारी….
मारा दिलमां वसे छे तुं… (४)
अंतरिक्षमां वसनारी,
प्यारी छे प्रतिमा तारी,
जीवंत लागे जाणे तुं छे पास…
दर्शन प्यासी आंखों,
रडता ज जाये रातो,
चाहू छुं प्रभु हुं तो तारो साथ…. (५)
बाल छुं तारो हुं,
तारा चरणोंनो अधिकारी,
पासे बोलावो मने,
ओ पार्श्व प्रभु उपकारी,
मारा दिलमां वसे छे तुं… (६)