गुरुवर मारो मारग, गुरु सथवार.. 

गुरुवर मारी मंझिल, गुरु पगथार.. 

आखुं आ अस्तित्व, गुरु उपगार…(१)

 

गुरुवर आप छो मारा, तारणहार,

 गुरुवर आप छो मारा, प्राण आधार, 

गुरुवर आप छो मारा, भव निस्तार,

 गुरुवर आप छो मारा, हृदयोद्वार…(२)

 

आपे आपी आ जीवनने नवी दिशाओ,

 घोर अंधारू टाळ्युं बदली मनोदशाओ, 

पत्थरमांथी प्रतिमाना घडनार…

 गुरुवर आप छो मारा, तारणहार…(३)

 

आप छो श्वासोनुं संगीत.. 

आप छो धबकारानी रीत.. 

आप को मीत.. आप छो प्रीत..

 गुरुवर मोहजंगमां जीत…(४)

 

हतो झेरीलो कौशिक जेवो आपे ठार्यो, 

गौतम सम अभिमान भरेलो तोये तार्यो, 

म्हारे मन छो महावीर तणो अवतार… 

गुरुवर आप छो मारा, तारणहार…(५)

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