सुकानी ए जिनशासनना,

 सेनानी छे श्रीसंघना, 

मारा गुरुराज ने वंदना, 

मारा सुरिराज ने वंदना….(१)

 

सूरिवर केवा अतुल्य छे, 

महिमा एमनी अमूल्य छे, 

तीर्थंकर प्रभुना विरहमां, 

ए तीर्थंकर तुल्य छे, 

तस पावन चरणोमां, 

झरणा वहे आनंदना, 

मारा गुरुराज ने वंदना, 

मारा सूरिराज ने वंदना…(२)

 

बुद्धिसागर गुरु समुदाये, 

रत्नो केवा सुंदर छे,

 शासननुं संरक्षण करता,

 पद्मा-गुण समंदर छे,

 वाणी अमृत जेवी एमनी, 

जाणे शीतल चंदना, 

मारा गुरुराज ने वंदना, 

मारा सूरिराज ने वंदना…(३)

 

द्रश्य केवुं महान हशे, 

ज्यारे पद प्रदान थशे,

आचार्य पदे आप शोभशो, 

अम सहुनुं कल्याण थशे, 

शासन समर्पित, गुरु नयपद्मसागर,

 जेना चरणे हो वंदना,

 गुरुकृपा पात्र, प्रशांतसागर, 

जेना चरणे हो वंदना, 

मारा गुरुराज ने वंदना, 

मारा सूरिराज ने वंदना…(४)

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