पिताजी रे…

 नोंधारा मूकी अमने चाल्या ना जवाय, 

पिता तो प्रेमनो सागर कहेवाय…(१)

 

तमारा विरहथी,

ओ पिताजी,

अंतर आज रडे छे,

 वात्सल्यनुं एक,

बिंदु मळता,

दिलडु अमारूं ठरे छे, 

पिताजी रे… 

परिवारनो साथ छोडी चाल्या ना जवाय, 

पिता तो प्रेमनो सागर कहेवाय…..(२)

 

संस्कारोनुं भेटणु दईने,

करूणा खूब वहावी,

 हाथ झालीने खभे बेसाडी,

दुनिया अमने बतावी,

 पिताजी रे…. 

 तमे तो चाल्या पण

तमारी याद कदी ना जाय, 

पिता तो प्रेमनो सागर कहेवाय…(३)

 

 कुटुंब आजे, तम विण अमने, 

सुनू सुनू लागे, पिताजी रे…

 देवलोकथी अमीनी वर्षा

करजो तमे सदाय, 

पिता तो प्रेमनो सागर कहेवाय….(४)

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