उण नगरी धर्म नगरी, घर-घरमां गाजे,

नवकार छे, ज्यां पशु पर छे स्नेह,

 वरसावे सदा प्रेम, एवी सुंदर छे आ

उण नगरी रे…मांगे छे स्नेह, मांगे छे

प्रेम,मांगे छे थोडी ममता रे, प्राणी

अबोल बीजुं मांगे शुं…करुणा करो,

वात्सल्य धारो, निराधारना आधार बनो,

प्राणी अबोल बीजुं मांगे शुं… (१)

 

तीर्थंकरोनी माता करुणा, जैनोनी ओळख छे

करुणा, वरसावे जीलो पर मुशळधार,

आशरो एक बनव्यो, विसामो ते मने आप्यो,

आप्यो छे सुंदर हाशकारो रे, हळी मळी

बंदु सहु भेगा मळ्या,टीपे-टीपे सरोवर

भर्या, बनावी सुंदर पशुशाळा, मळ्या

आशिष पशुओ तणा, आवी छे घडी

मंगलकारी, सुंदर शरूआत आज छे,

मांगे छे स्नेह, मांगे छे प्रेम, मांगे छे थोडी

ममता रे, प्राणी अबोल बीजु मांगे शुं…. (२)

 

श्री सिध्दिभूवन मनोहरशाळा, जंबूविजयजी

ए स्थापी,गुरु हेमप्रवसूरिना आशिषजी,

दानवीरो आगळ आव्या,दान गंगाना

नीर छलकाव्या, कार्य संपत्तिना

सदुपयोगजी,जयवंतु आ जिनशासन छे,

जीवदया जेनो धबकारो छे, 

तारी दया प्रभु धर्मनाथजी,

बस कृपा विधु तारी जो रहे,

सत कर्योनी रजुआत रहे,

उण नगरी सदा आबाद रहे,मांगे

छे स्नेह, मांगे छे प्रेम, मांगे छे थोडी

ममता रे,प्राणी अबोल बीजु मांगे शुं… (३)

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