एक-एक पल मारी विती रही छे,
बस आपनी यादमां….
पांपण अमारी भीनी थई छे,
बस आपनी यादमां…(१)
वहेली सवारे, मंगल प्रभाते;
द्वार उघाडुं, जयनाद-कारे,
पूजा तमारी, आनंद वधारे;
शाश्वत पधारो, जिनजी व्हारे,
दुनिया अमारी बदली गई छे;
बस आपनी यादमां…(२)
आकर्ष तारूं आकर्षी जाए;
लोचन अभारा अंजाई जाए,
जे पल तमारी पधरामणी हो;
ए पल अमारी आंखो भिंजाए,
धीरज अमारी खूटी रही छे;
बस आपनी यादमां…(३)