क्यूं भूलते दिवाने, दुनिया में सार नाहीं,
दिन चार का तमाशा, आखिर करार
नाहीं, क्यूं भूलते दिवाने…(१)
राजा वजीर राणी, पंडित वीर ज्ञानी,
सब हो गए हैं फानी, जिन का
सूमार नाहीं, क्यूं भूलते दिवाने…(२)
धनवान रंक सारे, प्रासाद पहाड भारे,
होवेंगे नाश सारे, तन का भरोसा नाहीं,
क्यूं भूलते दिवाने…(३)
दुनिया में तुं हो न्यारा,
जप ले प्रभु को प्यारा,
सुन ज्ञान का विचारा,
नर जन्म हार नाहीं,
क्यूं भूलते दिवाने…(४)
भव सिंधु नीर भारी,
वीर वाणी तारनारी,
खांती की सीख ये ही,
दिल से विसार नाहीं,
क्यूं भूलते दिवाने…(५)