मैं जोग तमारो जाण्यो रे, मेलो
ने आंटो रे, मने खटके काळजा
मांही रे, प्रेमनो कांटो रे…(१)
जोगी होय तो जंगल सेवे व्हाला, तो
होय जोगनुं पाणी रे, अम घेर आवी
जोग जाळवजो,जोगनी मुद्रा जाणी रे…(२)
ठुमक ठुमक पाय, विछुआ ठमके व्हाला,
रूमझूम धुधरी वांजे रे, झांझरडाना
झमकारामां,व्रत सघळा ईम भांजे रे…(३)
एक चोमासुं ने चित्रशाळा, त्रीजो मेहुलो
टप-टप टपूवे रे, आंखलडीनां उलाळामां
मुनि, सामुं पण नवि जुवे रे…(४)
धपमप मादल ने धोकात रे, थई-थई
नाटक छंदे रे, मुखनां मरकलडामां हो,
कुण न पडे फंदे रे…. (५)
एवा वचन सुणी कोश्याना, स्थुलीभद्र
कहे सुण बाळा रे, ना ना ना ना हवे
नहीं चूकुं, देखी तारा चाळा रे….(६)
उदयरतन कहे ते मुनिवरनां हुं तो,
प्रेमे प्रणमुं पाया रे, मनथी जेणे
उतारी मेली, बार वर्षनी माया रे…(७)