तुम केवल ज्ञानी हो, तुम केवल दानी हो,
तुम वीर प्रभु के केवल ध्यानी हो….(१)
तेरा ध्यान धरूं, तेरी भक्ति करूं,
मुझको भी बना दो तुमसा, स्वामी,
नमो नमो नमो गौतम स्वामी….
नमो नमो नमो केवल ज्ञानी…(२)
अंगूठे अमृत वसे, लब्धी तणा भंडार ।
श्री गुरु गौतम समरीए, वांछित फल दातार ॥
पृथ्वी के दुल्हारे, वसुभूति के प्यारे,
मेरी नैया के खेवनहारे,
नमो नमो नमो गौतम स्वामी….
नमो नमो नमो केवलज्ञानी…(३)
महावीर प्रभुजी का, तुं ने ऐसा ध्यान किया,
प्रभु वीर वियोग में केवलज्ञान लिया…(४)
तुम जैसी प्रभु से, मैं प्रीति करूं,
मणि नेमि को प्रीति करा दो, स्वामी,
नमो नमो नमो गौतम स्वामी….
नमो नमो नमो केवलज्ञानी….(५)
श्रीइन्द्रभूतिं वसुभूति-पुत्रं,
पृथ्वी-भवं गौतम-गोत्र-रत्नं ।
स्तुवन्ति देवाः सुरमानवेन्द्राः,
स गौतमो यच्छतु वांछितं मे ॥