वीर प्रभुनी उजळी पाठे, डहेलानो दरबार रे,
सूरि रामना लाडकवाया, मारा गुरू मनोहार
रे, अभयदेव सूरिराया, गच्छाधिपति गुरुराया.(१)
राधनपुरनी धन्य धराने, जन्मभूमि जेह थापे,
कान्ताबा ने रमणीकभाईने, अतुल आनंद
आपे, नानी वयमां संयम लेता, उछळता
केवा भावो, सूरिरामना संगे विचरी, वधता
पुण्य प्रभावो, गणि पंन्यासने आचार्यनो,
गुरुवचने स्वीकार रे, डहेलाना समुदाये
गुंजतो,गच्छधुरानो जयकार रे,
अभयदेव सूरिराया,गच्छाधिपति गुरुराया….(२)
पालीताणा ने शंखेश्वरनो, तीर्थ विकास
करावे, पांजरापोळमां अबोलाने, अभयदान
अपावे, प्रवर समिति कार्यवाहक, सवि
समुदाये प्यारा, शासननी एकतानी काजे,
निर्णय करता न्यारा,महामांगलिकना मंगल
नादे, आशिष अपरंपार रे, मोक्षने
“अंकित” करवाने, वीर वचननो स्वीकार रे,
अभयदेव सूरिराया, गच्छाधिपति गुरुराया…(३)