ऊंचा ऊंचा गिरनारनां शिखरो देखाय, 

वच्चे मारा नेमजी केरा देरा जगमग थाय, 

जय जय श्री गिरनार… जय जय श्री नेमिनाथ(१)

 

दादा तारी यात्रा करवा, मारू मन खेंचाय, 

तळेटी ए शीश नमावी, अंबिका लागु पाय,

 रैवतगिरिनो स्पर्श थाता, पापो दूर पलाय, ऊंचा ऊंचा…(२)

 

लीली-लीली झाडीयोमां, मोर करे टहुंकार, 

गिरी आरोहण करता-करता, कर्मो तूटे

भरपूर, मनमोहक तुंज श्यामळ मुरत, मुज जीवन आधार, ऊंचा ऊंचा…(३)

 

पहेले चैत्ये नेम बिराजे, बीजे आदिनाथ, 

त्रीजे भोयरे पारस राजे, सहुने करे सनाथ, 

अदबदजीनुं रूप अनेरू, जोवा आवो एक साथ, ऊंचा ऊंचा…(४)

 

दीक्षा केवल सहसावनमां, पंचम गढ निर्वाण,

 आगे अनंता पामशे, एम तीर्थ कल्प

वखाण, आलंबन पामी अनेके, आतमपद निर्वाण, ऊंचा ऊंचा…(५)

 

नेमिश्वरनां शासनकाळे, नेमिनुं बिंब घडाय, 

सहसावनमां ते ज बिंबने, जोता आनंद थाय, 

विश्वभरमां जोड जडेनां, रथनेमि जिनराय, ऊंचा ऊंचा…(६)

 

राजीमतीने रथनेमिने, तार्या बीजा अपार,

 पशु तणां पोकार सुणीने, चढ्या गढ

गिरनार, कर्म खपावी मुक्ति ए पहोता, 

रक्षित वंदे सोवार, ऊंचा ऊंचा….(७)

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