चहुँओर शोर है, मन ये मोर है, 

छंट गयी रात और भयी ये भोर है, 

कदम तुम्हारे, द्वार हमारे,

 बजे शहनाई-शंख आज,

 स्वागत है सूरिराज…(१)

 

दरिया जैसा हृदय विशाल हो,

 परिवर्तन की तुम ही मशाल हो, 

हो.. तेरा आगमन, महेंके कण-

कण आज, सजे ये खानदेश 

भी साज, स्वागत है सूरिराज…(२)

 

सत्त्व तुम्हारा मेरुशिखर सा, 

प्रवचन तेज भी सूर्य प्रखर सा, 

हो.. पुस्तक सर्जन, प्रेम के अंजन, 

तुम ही करो दिल में राज, 

स्वागत है सूरिराज…(३)

 

बलसाणा तीरथ के पथदर्शक, 

छबी तुम्हारी है मन आकर्षक, 

चरण तुम्हारे, शरण हमारे,

 रत्नसुंदर गुरुराज, स्वागत है सूरिराज…(४)

 

हो राह निहारे प्रेम दिवाने, 

धुलियाँ वालें, गुरुवर हो! 

आप पधारे खुश है सारे, 

चरण पखालें, गुरुवर हो!

 आशिष चाहे तुम गुण गाएँ,

 तुम रखवालें, गुरुवर हो!

 मनमंदिर में सजा सिंहासन,

 तुमही बिराजो, गुरुवर हो!..(५)

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