Jain Bhajan
भगवान मेरी नैया, उस पार लगा देना
अब तक तो निभाया है, आगे भी निभा देना
हम दिन दुखी निर्धन, नित नाम जपे प्रतिपल
यह सोच दरस दोगे, प्रभु आज नहीं तो कल
जो बाग़ लगाया है फूलो से सजा देना
अब तक तो निभाया…
तुम शांति सुधाकर हो, तुम ज्ञान दिवाकर हो
मम हँस चुगे मोती, तुम मानसरोवर हो
दो बूंद सुधा रस की, हम को भी पिला देना
अब तक तो निभाया…
रोकोगे भला कब तक, दर्शन दो मुझे तुम से
चरणों से लिपट जाऊं, प्रभु शोक लता जैसे
अब द्वार खड़ा तेरे , मुझे राह दिखा देना
अब तक तो निभाया है…
मझदार पड़ी नैया डगमग डोले भव में
आओ त्रिशाला नंदन हम ध्यान धरे मन में
अब दस करे विनती, मुझे अपना बना लेना
भगवान मेरी नैया उस पार लगा देना
अब तक तो निभाया है आगे भी निभा देना
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