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नाकोड़ा भैरव का परिचय

नाकोड़ा भैरव, राजस्थान के बाड़मेर जिले में स्थित नाकोड़ा तीर्थ के प्रमुख देवता हैं। यह स्थान जैन धर्म के अनुयायियों के लिए अत्यंत पवित्र है, जहाँ भगवान भैरव की पूजा-अर्चना की जाती है। भक्तों का मानना है कि यहाँ की गई प्रार्थनाएँ शीघ्र फलदायी होती हैं।

नाकोड़ा भैरव चालीसा क्या है?

नाकोड़ा भैरव चालीसा एक भक्तिपूर्ण स्तोत्र है, जिसमें 40 छंद भगवान भैरव की महिमा और उनके गुणों का वर्णन करते हैं। इस चालीसा का पाठ करने से भक्तों को मानसिक शांति, आध्यात्मिक उन्नति, और जीवन में सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है।

श्री नाकोड़ा भैरव चालीसा – Nakoda Bhairav Chalisa

पार्श्वनाथ भगवान की, मूरत चित बसाए ॥

भैरव चालीसा लिखू, गाता मन हरसाए ॥

नाकोडा भैरव सुखकारी, गुण गाये ये दुनिया सारी ॥

भैरव की महिमा अति भारी, भैरव नाम जपे नर  नारी ॥

जिनवर के हैं आज्ञाकारी, श्रद्धा रखते समकित धारी ॥

प्रातःउठ जो भैरव ध्याता, ऋद्धि सिद्धि सब संपत्ति पाता ॥

भैरव नाम जपे जो कोई, उस घर में निज मंगल होई ॥

नाकोडा लाखों नर आवे, श्रद्धा से परसाद चढावे ॥

भैरव–भैरव आन पुकारे, भक्तों के सब कष्ट निवारे ॥

भैरव दर्शन शक्ति–शाली, दर से कोई न जावे खाली ॥

जो नर नित उठ तुमको ध्यावे, भूत पास आने नहीं पावे ॥

डाकण छूमंतर हो जावे, दुष्ट देव आडे नहीं आवे ॥

मारवाड की दिव्य मणि हैं, हम सब के तो आप धणी हैं ॥

कल्पतरु है परतिख भैरव, इच्छित देता सबको भैरव ॥

आधि व्याधि सब दोष मिटावे, सुमिरत भैरव शान्ति पावे ॥

बाहर परदेशे जावे नर, नाम मंत्र भैरव का लेकर ॥

चोघडिया दूषण मिट जावे, काल राहु सब नाठा जावे ॥

परदेशा में नाम कमावे, धन बोरा में भरकर लावे ॥

तन में साता मन में साता, जो भैरव को नित्य मनाता ॥

मोटा डूंगर रा रहवासी, अर्ज सुणन्ता दौड्या आसी ॥

जो नर भक्ति से गुण गासी, पावें नव रत्नों की राशि ॥

श्रद्धा से जो शीष झुकावे, भैरव अमृत रस बरसावे ॥

मिल जुल सब नर फेरे माला, दौड्या आवे बादल–काला ॥

वर्षा री झडिया बरसावे, धरती माँ री प्यास बुझावे ॥

अन्न–संपदा भर भर पावे, चारों ओर सुकाल बनावे ॥

भैरव है सच्चा रखवाला, दुश्मन मित्र बनाने वाला ॥

देश–देश में भैरव गाजे, खूटँ–खूटँ में डंका बाजे ॥

हो नहीं अपना जिनके कोई, भैरव सहायक उनके होई ॥

नाभि केन्द्र से तुम्हें बुलावे, भैरव झट–पट दौडे आवे ॥

भूख्या नर की भूख मिटावे, प्यासे नर को नीर पिलावे ॥

इधर–उधर अब नहीं भटकना, भैरव के नित पाँव पकडना ॥

इच्छित संपदा आप मिलेगी, सुख की कलियाँ नित्य खिलेंगी ॥

भैरव गण खरतर के देवा, सेवा से पाते नर मेवा ॥

कीर्तिरत्न की आज्ञा पाते, हुक्म–हाजिरी सदा बजाते ॥

ऊँ ह्रीं भैरव बं बं भैरव, कष्ट निवारक भोला भैरव ॥

नैन मूँद धुन रात लगावे, सपने में वो दर्शन पावे ॥

प्रश्नों के उत्तर झट मिलते, रस्ते के संकट सब मिटते ॥

नाकोडा भैरव नित ध्यावो, संकट मेटो मंगल पावो ॥

भैरव जपन्ता मालम–माला, बुझ जाती दुःखों की ज्वाला ॥

नित उठे जो चालीसा गावे, धन सुत से घर स्वर्ग बनावे ॥

भैरु चालीसा पढे, मन में श्रद्धा धार ।

कष्ट कटे महिमा बढे, संपदा होत अपार ॥

जिन कान्ति गुरुराज के,शिष्य मणिप्रभ राय ।

भैरव के सानिध्य में,ये चालीसा गाय ॥

॥ श्री भैरवाय शरणम् ॥

नाकोड़ा भैरव चालीसा के लाभ

  • मानसिक शांति: नियमित पाठ से मन शांत होता है और तनाव कम होता है।
  • आध्यात्मिक उन्नति: यह चालीसा आत्मा की शुद्धि में सहायक होती है और मोक्ष मार्ग पर प्रेरित करती है।
  • संकटों का निवारण: भक्तों का विश्वास है कि इस चालीसा के पाठ से जीवन की बाधाएँ दूर होती हैं और कार्यों में सफलता मिलती है।

नाकोड़ा भैरव चालीसा का पाठ कैसे करें?

  1. शांत स्थान का चयन करें: पाठ के लिए एक शांत और स्वच्छ स्थान चुनें, जहाँ ध्यान भंग न हो।
  2. स्वच्छता का पालन करें: स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें, जिससे मन और शरीर दोनों शुद्ध रहें।
  3. ध्यान मुद्रा में बैठें: सुखासन या पद्मासन में बैठकर आँखें बंद करें और मन को एकाग्र करें।
  4. शुद्ध उच्चारण करें: चालीसा के प्रत्येक शब्द का स्पष्ट और सही उच्चारण करें, जिससे उसका पूर्ण लाभ मिल सके।
  5. नियमितता बनाए रखें: प्रतिदिन या विशेष अवसरों पर नियमित रूप से चालीसा का पाठ करें।

निष्कर्ष

नाकोड़ा भैरव चालीसा का नियमित और श्रद्धापूर्ण पाठ जीवन में मानसिक शांति, आध्यात्मिक उन्नति, और सुख-समृद्धि लाता है। इसे अपने दैनिक जीवन में शामिल करें और भगवान भैरव की कृपा प्राप्त करें।

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