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णमोकार मंत्र का महत्व
णमोकार मंत्र, जिसे नवकार मंत्र भी कहा जाता है, जैन धर्म का सबसे पवित्र और महत्वपूर्ण मंत्र है। यह सभी जैन प्रार्थनाओं और धार्मिक क्रियाओं की शुरुआत में बोला जाता है। इस मंत्र में पाँच परमात्माओं—अरिहंत, सिद्ध, आचार्य, उपाध्याय, और साधु—को नमन किया जाता है। इसका उद्देश्य आत्मा की शुद्धि और मोक्ष प्राप्ति का मार्ग दिखाना है।
णमोकार मंत्र चालीसा क्या है?
णमोकार मंत्र चालीसा, इस महामंत्र की महिमा को विस्तार से समझाने और प्रार्थना को प्रभावशाली बनाने वाला एक विशेष स्तोत्र है। इसमें चालीस छंद होते हैं, जो णमोकार मंत्र के महत्व, लाभ और आध्यात्मिक ऊर्जा को सरल और रोचक तरीके से व्यक्त करते हैं।
दोहा
वंदूँ श्रीअरिहंत पद, सिद्ध नाम सुखकार।
सूरी पाठक साधुगण, हैं जग के आधार ।।१।।
इन पाँचों परमेष्ठि से, सहित मूल यह मंत्र।
अपराजित व अनादि है, णमोकार शुभ मंत्र ।।२।।
णमोकार महामंत्र को, नमन करूँ शतबार।
चालीसा पढ़कर लहूँ, स्वात्मधाम साकार ।।३।।
चौपाई
हो जैवन्त अनादिमंत्रम्, णमोकार अपराजित मंत्रम् ।।१।।
पंच पदों से युक्त सुयंत्रम्, सर्वमनोरथ सिद्धि सुतंत्रम् ।।२।।
पैंतिस अक्षर माने इसमें, अट्ठावन मात्राएँ भी हैं ।।३।।
अतिशयकारी मंत्र जगत में, सब मंगल में कहा प्रथम है ।।४।।
जिसने इसका ध्यान लगाया, मनमन्दिर में इसे बिठाया ।।५।।
उसका बेड़ा पार हो गया, भवदधि से उद्धार हो गया ।।६।।
अंजन बना निरन्जन क्षण में, शूली बदली सिंहासन में ।।७।।
नाग बना फूलों की माला, हो गई शीतल अग्नी ज्वाला ।।८।।
जीवन्धर से इसी मंत्र को, सुना श्वान ने मरणासन्न हो ।।९।।
शांतभाव से काया तजकर, पाया पद यक्षेन्द्र हुआ तब ।।१०।।
एक बैल ने मंत्र सुना था, राजघराने में जन्मा था |।११।।
जातिस्मरण हुआ जब उसको, उसने खोजा उपकारी को ।।१२।।
पद्मरुची को गले लगाया, आगे मैत्री भाव निभाया ।।१३।।
कालान्तर में वही पद्मरुचि, राम बने तब बहुत धर्मरुचि ।।१४।।
बैल बना सुग्रीव बन्धुवर! दोनों के सम्बन्ध मित्रवर ।।१५।।
रामायण की सत्य कथा है, णमोकार से मिटी व्यथा है ।।१६।।
ऐसी ही कितनी घटनाएँ, नए पुराने ग्रन्थ बताएँ ।।१७।।
इसीलिए इस मंत्र की महिमा, कही सभी ने इसकी गरिमा ।।१८।।
हो अपवित्र पवित्र दशा में, सदा करें संस्मरण हृदय में ।।१९।।
जपें शुद्धतन से जो माला, वे पाते हैं सौख्य निराला ।।२०।।
अन्तर्मन पावन होता है, बाहर का अघमल धोता है ।।२१।।
णमोकार के पैंतिस व्रत हैं, श्रावक करते श्रद्धायुत हैं ।।२२।।
हर घर के दरवाजे पर तुम, महामंत्र को लिखो जैनगण ।।२३।।
जैनी संस्कृति दर्शाएगा, सुख समृद्धि भी दिलवाएगा ।।२४।।
एक तराजू के पलड़े पर, सारे गुण भी रख देने पर ।।२५।।
दूजा पलड़ा मंत्र सहित जो, उठा न पाए कोई उसको ।।२६।।
उठते चलते सभी क्षणों में, जंगल पर्वत या महलों में ।।२७।।
महामंत्र को कभी न छोड़ो, सदा इसी से नाता जोड़ो ।।२८।।
देखो! इक सुभौम चक्री था, उसने मन में इसे जपा था ।।२९।।
देव मार नहिं पाया उसको, तब छल युक्ति बताई नृप को ।।३०।।
उसके चंगुल में फस करके, लिखा मंत्र राजा ने जल में ।।३१।।
ज्यों ही उस पर कदम रख दिया, देव की शक्ती प्रगट कर दिया ।।३२।।
देव ने उसको मार गिराया, नरक धरा को नृप ने पाया ।।३३।।
मंत्र का यह अपमान कथानक, सचमुच ही है हृदय विदारक ।।३४।।
भावों से भी न अविनय करना, सदा मंत्र पर श्रद्धा करना ।।३५।।
इसके लेखन में भी फल है, हाथ नेत्र हो जाएं सफल है ।।३६।।
णमोकार की बैंक खुली है, ज्ञानमती प्रेरणा मिली है ।।३७।।
जम्बूद्वीप-हस्तिनापुर में, मंत्रों का व्यापक संग्रह है ।।३८।।
इसकी किरण प्रभा से जग में, फैले सुख शांती जन-जन में ।।३९।।
मन-वच-तन से इसे नमन है, महामंत्र का करूं स्मरण मैं ।।४०।।
शंभु छंद
यह महामंत्र का चालीसा, जो चालिस दिन तक पढ़ते हैं।
ॐ अथवा असिआउसा मंत्र, या पूर्ण मंत्र जो जपते हैं।।
ॐकार मयी दिव्यध्वनि के, वे इक दिन स्वामी बनते हैं।
परमेष्ठी पद को पाकर वे, खुद णमोकारमय बनते हैं ।।१।।
पच्चिस सौ बाइस वीर अब्द, आश्विन शुक्ला एकम तिथि में।
रच दिया ज्ञानमति गणिनी की, शिष्या ‘‘चन्दनामती’’ मैंने।।
मैं भी परमेष्ठी पद पाऊँ, प्रभु कब ऐसा दिन आएगा।
जब मेरा मन अन्तर्मन में, रमकर पावन बन जाएगा ।।२।|
णमोकार मंत्र चालीसा के लाभ
1. मानसिक शांति और सुकून
चालीसा का नियमित पाठ करने से मन को शांति मिलती है। यह मानसिक तनाव को कम करके ध्यान केंद्रित करने में मदद करता है।
2. आत्मा की शुद्धि
यह चालीसा आत्मा के पापों को कम करने और आध्यात्मिक उन्नति के लिए प्रेरित करती है। इसके प्रभाव से आत्मा पवित्र होती है।
3. सकारात्मक ऊर्जा
चालीसा पाठ से सकारात्मक ऊर्जा उत्पन्न होती है। जीवन में नई प्रेरणा और उत्साह का संचार होता है।
4. मोक्ष का मार्ग
यह चालीसा केवल इस जीवन में ही नहीं, बल्कि मोक्ष की प्राप्ति के मार्ग में भी सहायक होती है।
णमोकार मंत्र चालीसा का पाठ कैसे करें?
1. स्थान का चयन
पाठ के लिए एक शांत और स्वच्छ स्थान चुनें। यह स्थान पूजा स्थल या ध्यान कक्ष हो सकता है।
2. स्वच्छता का पालन करें
पाठ से पहले स्नान करें और साफ-सुथरे कपड़े पहनें। यह मन को शुद्ध और केंद्रित करने में मदद करता है।
3. ध्यान मुद्रा में बैठें
सुखासन या पद्मासन में बैठें और अपनी आँखें बंद करके ध्यान लगाएँ।
4. उच्चारण पर ध्यान दें
मंत्र और चालीसा का सही उच्चारण करें। शुद्ध उच्चारण से पाठ का प्रभाव बढ़ जाता है।
5. नियमितता बनाए रखें
चालीसा का पाठ नियमित रूप से करें। इसे सुबह या शाम के समय किया जा सकता है।
णमोकार मंत्र चालीसा के धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व
जैन धर्म के अनुयायियों के लिए यह चालीसा केवल एक प्रार्थना नहीं है, बल्कि एक जीवन जीने का मार्ग भी है। यह चालीसा हमें अहिंसा, सत्य, और धर्म के मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करती है। यह सभी धर्मों और पंथों के लिए समान रूप से लाभकारी है।
सारांश:
णमोकार मंत्र चालीसा आत्मा की शुद्धि, जीवन में शांति, और मोक्ष प्राप्ति के लिए अद्भुत मार्गदर्शक है। इसका नियमित पाठ आपके जीवन को नई ऊर्जा और संतुलन प्रदान कर सकता है। इसे अपनाएँ और अपने जीवन को नई दिशा दें।
Namokar Mantra Chalisa: A Divine Spiritual Hymn
Significance of the Namokar Mantra
The Namokar Mantra, also known as the Navkar Mantra, is the most sacred and significant mantra in Jainism. It is recited at the beginning of all Jain prayers and rituals. This mantra pays homage to the five supreme beings: Arihants, Siddhas, Acharyas, Upadhyayas, and Sadhus. Its purpose is to purify the soul and guide it toward liberation (Moksha).
What is Namokar Mantra Chalisa?
Namokar Mantra Chalisa is a devotional hymn that elaborates on the glory of this mantra. It consists of 40 verses that describe the power, benefits, and spiritual energy of the Namokar Mantra in a simple and engaging manner.
Benefits of Namokar Mantra Chalisa
1. Mental Peace and Relaxation
Regular recitation of the Chalisa brings peace of mind. It reduces stress and helps improve focus and concentration.
2. Purification of the Soul
The Chalisa aids in reducing the effects of past negative deeds (karma) and promotes spiritual upliftment by purifying the soul.
3. Positive Energy
Reciting the Chalisa generates positive energy, bringing new enthusiasm and inspiration into one’s life.
4. Path to Liberation
This Chalisa not only helps in leading a meaningful life but also supports the journey toward attaining Moksha (liberation).
How to Recite Namokar Mantra Chalisa?
1. Choose a Calm Space
Select a quiet and clean place for recitation, such as a prayer room or meditation corner.
2. Maintain Cleanliness
Take a bath and wear clean clothes before beginning the recitation. This enhances focus and mindfulness.
3. Sit in a Meditative Posture
Sit in Sukhasana (cross-legged posture) or Padmasana (lotus posture) with your eyes closed to concentrate better.
4. Focus on Pronunciation
Ensure clear and correct pronunciation of the mantra and Chalisa. Proper articulation amplifies its impact.
5. Practice Regularly
Recite the Chalisa daily or on special occasions, preferably in the morning or evening.
Religious and Spiritual Importance of Namokar Mantra Chalisa
For followers of Jainism, this Chalisa is more than a prayer; it is a guide to a virtuous life. It encourages us to walk on the path of non-violence (Ahimsa), truth, and righteousness. Its benefits extend to people of all faiths, offering spiritual growth and inner peace.
Conclusion
The Namokar Mantra Chalisa is a powerful hymn for the purification of the soul, attaining peace, and guiding one toward liberation. By reciting it regularly, you can invite positive energy, spiritual growth, and balance into your life. Embrace it as a daily practice to transform your life and inner self.
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